सोमवार, 11 मई 2020

Internet, Cell Phone/Mobile Phone, Fax

इन्टरनेट
इन्टर नेटवर्किंग (Inter Networking) को शार्ट फार्म में Internet कहते हैं। इन्टरनेट एक ऐसी सुविधा है जिसके बिना आज जीना मुश्किल है। आज के जमाने में यदि एक मिनट के लिए भी इन्टरनेट बंद हो जाए तो पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों रुपए का नुकसान हो जाता है। इसके सहारे एक आम आदमी भी अपने जीवन को थोड़ा सुविधाजनक बना लेता है।
इन्टरनेट की स्थापना का विचार 1962 में प्रो. जी.सी. लिक्लाईडर ने दिया था। इसी कारण इन्हें इन्टरनेट का जनक माना जाता है। इन्टरनेट का आरम्भ अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा (ARPANET - Advanced Research Project Agency Net) के विकास से हुआ। ARPANET दुनिया का पहला ऐसा नेटवर्क था जिसमें 4 कम्प्यूटर आपस में जोड़े गए। अगले बीस सालों तक इन्टरनेट का इस्तेमाल रक्षा और अनुसंधान के लिए ही किया गया। 1989 से इन्टरनेट को आम जनता के लिए खोल दिया गया।
1989 में एक ब्रिटिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स ली (Tim Berners -Lee) ने WWW (World wide web) का अविष्कार किया। इससे इन्टरनेट पर सर्च करना बहुत आसान हो गया। इन्टरनेट विभिन्य सूचनाओं-संसाधनों और सेवाओं जैसे- ई.मेल., ऑनलाइन चैट, ऑनलाइन बैंकिंग, फाइल ट्रांसफर और सर्चिंग के लिए इस्तेमाल होता है। आज कम्प्यूटर के साथ फोन, स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी, स्मार्ट वॉच, टैब, कैमरा जैसी बहुत सारी चीजें इन्टरनेट से जुड़ गई हैं। इसी तरह से आने वाले समय में काफी चीजें इन्टरनेट से जुड़ जाऐंगी और जिंदगी काफी आसान हो जाएगी।
यदि आप सोचते हैं कि इन्टरनेट सेटेलाइट से चलता है तो आप गलत हैं। 90% इन्टरनेट चलता है आप्टिकल फाइबर केबल से। आपके मोबाइल तक इन्टरनेट तीन अलग-अलग तरह की कम्पनियों के द्वारा आता है।
1.      TR-1 कंपनी - इसने पूरी दुनिया में समंदर के अंदर आप्टिकल फाइबर केबल बिछा रखी है। यह केबल सारे देशों को आपस में जोड़ती है एक आप्टिकल फाइबर केबल के अंदर बाल के साइज की हजारों केबलें होती हैं। एक बाल के साइज के केबल से 100 GBPS की दर से डेटा ट्रांसफर होता है।
2.     TR-2 कंपनी - यह कंपनियां राज्यों और छोटे शहरों तक आप्टिकल फाइबर केबल बिछाती हैं।
3.      TR-3 कंपनी - लोकल जगह यह आपको इन्टनेट की सुविधा देती हैं।
भारत में आप्टिकल फाइबर केबल का लैण्डिंग प्वाइंट मुंबई है। यदि आप कोई ऐसी जानकारी सर्च करते हैं जिसकी सूचना किसी दूसरे देश के सर्वर पर है तो आपका सारा कम्यूनिकेशन मुंबई से होकर जाएगा। इन्टरनेट का कोई मालिक नहीं है। इन्टरनेट बिल्कुल मुफ्त है। इन्टरनेट चलाने के लिए जगह-जगह जो केबलें बिछी हुई हैं, केवल उसके रखरखाव का खर्च कंम्पनियों को देना पड़ता है। रिलायंस जिओ ने एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच समुद्र में अपना खुद का आप्टिकल फाइबर केबल बिछा रखा है। इसलिए यह कम पैसों में तेज इन्टरनेट आसानी से दे पाता है।
      आज इन्टरनेट से सारी दुनिया और उसके कई संस्थान चल रहे हैं। इन्टरनेट ने ही सही मायनों में ‘ग्लोबल विलेज’ के सपने को साकार किया है। इन्टरनेट ज्ञान और सूचना का भंडार भी है इसलिए इन्टरनेट ने विश्व संस्कृति को बहुत गहरे तक प्रभावित किया है।

सेलफोन

टेलीफोन का अविष्कार 2 जून 1875 को अलेक्जेण्डर ग्राहम बेल ने किया था। ग्राहम बेल स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक थे। शुरू में टेलीफोन के अविष्कार को किसी ने गम्भीरता से नहीं लिया था। ग्राहम बेल को अमेरिका जाकर कई जगह इसका प्रर्दशन करना पड़ा। बड़ी-बड़ी कंपनियों को लगता था कि टेलीफोन कहीं टेलीग्राफ का प्रतिद्वंदी न बन जाए। इसलिए उन्होंने टेलीफोन को महत्व नहीं दिया। निराश होकर ग्राहम बेल वापस अपने देश लौट आए। इंग्लैंड की महारानी के महल में जब ग्राहम बेल ने दो टेलीफोन लगाए, उसके बाद से ही टेलीफोन इंग्लैण्ड में प्रसिद्ध होने लगा। धीरे-धीरे यह पूरे यूरोप में लोकप्रिय हो गया और यूरोप के बाद अमेरिका में भी टेलीफोन लोकप्रिय हो हो गया।
      आज पूरी दुनिया में कोई भी किसी को फोन करता है तो हैलो ही कहता है। हैलो कहने के बाद ही कोई अपनी बात शुरू करता है। अगर मैं कहूं कि यह किसी का नाम है तो आप लोग हैरत में पड़ जाएंगे। यह नाम है टेलीफोन के अविष्कारक ग्राहम बेल की गर्लफ्रेंड का; जिसका पूरा नाम मारग्रेट हैलो था। ग्राहम बेल जब उसे फोन करते थे तो प्यार से हैलो ही कहते थे। तब से यह शब्द प्रचलित हो गया।
      आज पूरी दुनिया एक परिवार का रूप ग्रहण कर चुकी है और विश्व के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को कभी भी फोन कर सकता है। यह सब मुमकिन हुआ है - मोबाइल फोन के अविष्कार से। सूचना क्रांति के इस उपकरण ने मानव जीवन को बदलकर रख दिया है। इसने पूरे विश्व को एक दूसरे के समीप ला दिया है। इस मोबाइल फोन का अविष्कार 3 अप्रैल 1973 को अमेरिकी इंजीनियर मार्टिन कूपर ने किया था। पहला मोबाइल फोन मोटोरोला कंपनी का था। मार्टिन कूपर इसी कंपनी में इंजीनियर के पद पर काम करते थे। इन्होंने जिस मोबाइल फोन को बनाया था, उसका वजन 2 किलो था। एक बार फुल चार्ज होने पर आप इससे 30 मिनट तक बात कर सकते थे लेकिन इसे दुबारा फुल चार्ज होने में 10 घंटे का समय लगता था।
      भारत में मोबाइल फोन की शुरूआत 31 जुलाई 1995 को हुई। Modi Telstra कंपनी ने भारत में मोबाइल सेवा शुरू की थी। पहला मोबाइल कॉल इसी कंपनी के नेटवर्क से कलकत्ता से दिल्ली किया गया था। यही कंपनी आगे चलकर Spice Mobiles के नाम से मशहूर हुई।
      सेल्यूलर फोन/मोबाइल फोन या स्मार्ट फोन एक तारविहीन वायरलेस उपकरण है। इसका संचालन मोबाइल टॉवरों की मदद से उपग्रह के द्वारा होता है। आज मोबाइल फोन ने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है। आज की संस्कृति को मोबाइल फोन की संस्कृति कहा जा सकता है।

फैक्स
Fax (For away Xerox) का अविष्कार 1846 में स्कॉटलैंड के अविष्कारक अलेक्जेंडर बेन ने किया था। फैक्स एक तकनीक है जो इन्टरनेट के माध्यम से चलती है। इस तकनीक में एक तरफ रखी मशीन में दस्तावेज डालकर फैक्स नंबर डॉयल किया जाता है तो दूसरी तरफ वह दस्तावेज प्रिंट होकर निकल जाता है। यह टेलीफोन से थोड़ा बड़ा उपकरण होता है। इसके द्वारा सूचनाएं एक जगह से दूसरी जगह तेजी से भेजी जाती हैं। फैक्स मशीन ने भी संचार क्रांति के क्षेत्र में काफी बदलाव लाया है।
  



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